मुंबई बारिश 2025: जलवायु परिवर्तन से चरम वर्षा और बाढ़ का खतरा

 मुंबई की बरसात: जलवायु परिवर्तन से बढ़ी बारिश की तीव्रता

मुंबई और आसपास के इलाक़ों में चार दिनों तक लगातार हुई भारी बारिश ने शहर की रफ़्तार थाम दी। 16 अगस्त से शुरू हुई इस बारिश ने 19 अगस्त तक 800 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की, जो अगस्त के मासिक औसत 560.8 मिमी से कहीं ज़्यादा है। इस दौरान सड़कें डूब गईं, यातायात ठप हुआ और महाराष्ट्र में अब तक 15 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस मूसलाधार बारिश के पीछे कई मौसम प्रणालियों का एक साथ सक्रिय होना ज़िम्मेदार है — विदर्भ में लो-प्रेशर एरिया, अरब सागर में चक्रवातीय परिसंचरण, बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन और सक्रिय मानसून ट्रफ। विशेषज्ञों का कहना है कि जब ये प्रणालियाँ एक साथ आती हैं तो बारिश की तीव्रता कई गुना बढ़ जाती है।

क्लाइमेट वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन ने इस बारिश को और भी चरम बना दिया है। अरब सागर का बढ़ता तापमान और मध्य-पूर्व की तेज़ गर्माहट मानसून हवाओं को अधिक नमी खींचने पर मजबूर कर रही है। इससे छोटी अवधि में अत्यधिक वर्षा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि भविष्य में ऐसे हालात से निपटने के लिए मज़बूत अर्ली वार्निंग सिस्टम, बेहतर ड्रेनेज, बाढ़-प्रवण क्षेत्रों की मैपिंग और नागरिकों को समय पर सूचना देना बेहद ज़रूरी है। मुंबई जैसी महानगरियों को जलवायु-लचीला (climate-resilient) बनाने के बिना बार-बार ऐसी त्रासदियों से बच पाना मुश्किल होगा।

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