रक्षाबंधन 2025: इतिहास, महत्व और बदलते रूप की संपूर्ण जानकारी

 रक्षाबंधन — रिश्तों की डोर की कहानी




परिचय

श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन सिर्फ एक धागा बांधने की रस्म नहीं है, बल्कि भाई-बहन के प्यार, विश्वास और जिम्मेदारी का प्रतीक है। इस एक दिन, बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है, और भाई उसकी रक्षा का वचन देता है।

जन्म — परंपरा की शुरुआत

“रक्षा” का अर्थ है सुरक्षा और “बंधन” का मतलब है डोर या रिश्ता। इसका ज़िक्र प्राचीन ग्रंथ भविष्य पुराण में मिलता है। महाभारत में द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कहानी, तथा रानी कर्णावती और हुमायूं की कथा, इस परंपरा की गहरी जड़ों को दर्शाती हैं।

बढ़ते कदम — रस्में और अलग-अलग रूप

आज रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को पूरे देश में मनाया जाता है। बहन तिलक लगाकर राखी बांधती है, मिठाई खिलाती है और भाई तोहफ़ा देकर रक्षा का वचन देता है।

राजस्थान में लुंबा राखी का रिवाज़ है।

महाराष्ट्र में यह नारळी पूर्णिमा के साथ मनाया जाता है।

गुजरात में पवित्रोपण पूजा भी होती है।

आज का रक्षाबंधन

ऑनलाइन शॉपिंग, कूरियर और वीडियो कॉल ने दूर रह रहे भाई-बहनों के लिए यह त्योहार आसान बना दिया है। अब राखी सिर्फ भाई को ही नहीं, बल्कि दोस्तों, सैनिकों और रिश्तेदारों को भी बांधी जाती है।

निष्कर्ष

रक्षाबंधन समय के साथ बदलता रहा है, लेकिन इसका असली अर्थ — प्यार और सुरक्षा का वादा — हमेशा कायम रहेगा। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि रिश्तों की डोर जितनी सादी हो, उतनी ही मजबूत भी हो सकती है।

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